दिल के ख़ुश रखने को 'ग़ालिब' ये ख़याल अच्छा है कुछ समझ कर उस मह-ए-ख़ूबी से की थी दोस्ती मुझे अच्छा नही लगता अपनी सांसों से जुदा होना।। माँगा तो सिसकियों की भी हद से गुजर गये। झूट बोला है तो क़ाएम भी रहो उस पर 'ज़फ़र' आदमी को साहब-ए-किरदार https://hindishayri.godaddysites.com/f/shayari-in-hindi---%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%80-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%B6%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%B0%E0%A5%80